हजरत अबू हुरैरा रजी अल्लाहू तअला अन्हू से रिवायत है उन्होंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो सल्लम को यह फरमाते हैं सुना कि बनी इसराइल में तीन आदमी थे एक कोढ़ी दूसरा गंजा और तीसरा अंधा अल्लाह ताला ने उनको आजमाना चाहा अल्लाह ने उनकी तरफ एक फरिश्ता भेजा फरिश्ता आदमी की शक्ल में कोढ़ी के पास आता है
(फरिश्ता और कोढ़ी )
फरिश्ता: कोड़ी से कहता है दुनिया की कौन सी चीज तुझे ज्यादा पसंद है!
कोढ़ी: (कहता है )मुझे खूबसूरत रंग और खूबसूरत जिस्म ज्यादा पसंद है मैं यह भी चाहता हूं कि मैं इस बीमारी से निजात पा जाऊं जिसकी वजह से लोग मुझसे नफरत करते हैं!
फरिश्ता उसको ही को जैसे ही हाथ से छूता है फौरन जिस्म से आने वाली बदबू खत्म हो जाती है कोढ़ी को खूबसूरत
रंग और जिस मिल जाता है!
फरिश्ता: (दोबारा कोठी से कहता है) तुझे माल कौन सा पसंद है!
कोढ़ी : (कहता है) मुझे ऊंट बहुत पसंद है!
इस वजह से उस को 10 गाभिन ऊंटनियां दे दी जाती हैं!
(फरिश्ता कोढ़ वाले को ऊंट मिल जाने के बाद जाते जाते उसके माल में बरकत की भी दुआ करता है)
उस के बाद
फरिश्ता गंजे
के पास पहुंचता
फ़रिश्ता और
गंजा
फरिश्ता: (गंजे से पूछता है) तुझे दुनिया की कौन सी चीज ज्यादा महबूब है
गंजा: (कहता है) मुझे सबसे ज्यादा महबूब यह है कि मेरा गंजापन खत्म हो जाए और खूबसूरत चमकदार बाल मिल जाएन!
फरिश्ता गंजे को हाथ लगाता है तो उसका गंजापन दूर हो जाता है गंजे को बेहतरीन किस्म के बाल मिल जाते हैं !
फरिश्ता: (गंजे से कहता है) तुझे सबसे ज्यादा कौन सा माल पसंद है
गंजा: (कहता है) मुझे सबसे पसंदीदा माल गाय है गंजे को उसकी ख्वाहिश के मुताबिक गाभिन गायें दे दी जाती हैं
फरिश्ता जाते-जाते उसके लिए दुआ करता है अल्लाह तेरे माल में बरकत अता करे
उसके बाद
फरिश्ता अंधे आदमी के पास आता है
फ़रिश्ता
और अंधा
फरिश्ता: (अंधे से आकर कहता है) तुझे कौन सी चीज ज्यादा अच्छी लगती है
अंधा: (कहता है) ऐ सवाल करने वाले
मुझे तो इससे ज्यादा कोई चीज पसंद नहीं अल्लाह मेरी बीनाई को लौटा दे जिसके जरिया
मैं लोगों को देख सकूं
फरिश्ता आदमी को हाथ से छूता है अल्लाह ताला उस
अंधे आदमी की बिनाई को वापस लौटा देता है!
फरिश्ता: (फिर उससे कहता है
)अब मुझे बताओ
तुझे माल कौन सा महबूब है!
अंधा: मुझे बकरियां ज्यादा महबूब है इस वजह से अंधे को उसकी चाहत
के मुताबिक उसको गाभिन बकरियां दे दी जाती हैं!
चंद महीने या साल गुजर जाते हैं
कोढ़ी के पास बहुत ज्यादा
ऊंट इकट्ठे हो जाते हैं! और
गंजे की बेशुमार गायों के
जरिया हवेलियां भर जाती हैं और
अंधे आदमी के हर तरफ
बकरियों के चलते फिर्ते रेवड़ नजर आते हैं!
वही
फरिश्ता दोबारा कोढ़ी का रूप धार कर कोढ़ी
के पास दोबारा आता है
फरिश्ता: (कहता है) मैं एक मिस्कीन(गरीब) आदमी हूं लंबे
सफर की वजह से मेरे पास कोई सामाने सफर नहीं
है आज के दिन तो तेरे सिवा और अल्लाह के सिवा कोई मददगार नजर नहीं आता मैं
तुझे उस जात के वसीले का वास्ता देता हूं जिसने तुझे उम्दा रंग खूबसूरत जिस्म अता किया है और उसके साथ साथ तुझे ऊंटों
का मालिक बनाया है मेहरबानी करते हुए मुझे सफर तय करने के लिए एक ऊंट दे दो जिस के
जरिया मैं अपने घर पहुंच जाऊं!
कोढ़ी : (कन्जूसी करते हुए
कहता है) मेरी और
जिम्मेदारियां बहुत हैं मैं तुझे क्या दूं
फरिश्ता: (अपने आप को अजनबी
जानते हुए कहता है)
मैं शायद कि तुझे जानता हूं तू वही आदमी तो नहीं है जो
कोढ़ी था जिससे लोग घिन करते थे क्या जब
तू फकीर नहीं था तो अल्लाह ने तुझे माल दिया!
कोढ़ी इनकार करते हैं यह कहता है यह कैसे हो सकता है
यह माल तो मुझे विरासत में मिला है यह तो नस्ल दर नस्ल चला आ रहा है
फरिश्ता : (कहता है) अगर तू झूठा है तो फिर अल्लाह तआला तुझे पहले की तरह
दोबारा कर दे
यह कहकर फरिश्ता गंजे के
पास गंजा बनकर आता है फरिश्ता: (कहता है) मैं मिस्कीन (गरीब)आदमी हूं मेरे
आने जाने सफर करने के तमाम जराय खत्म हो
चुके हैं आज तो तेरे और अल्लाह के सिवा और कोई मदद गार नहीं है मैं तुझे उसी
अल्लाह का वास्ता देता हूं जिसने तुझे हसीन व जमील बाल अता किए हैं और जिसने तुझे
हर तरह के माल व दौलत से माला माल किया है
मुझ पर तरस खा मुझे एक गाय दे दे जिसकी कीमत से मैं सफर तय कर लूं और अपने घर पहुंच
जाऊं!
गंजा: (डांटता हुआ कहता
है )मेरी और बहुत सी
जिम्मेदारियां हैं मैं तुझे क्या दूं
फरिश्ता :(ताअज्जुब करते
हुए कहता है) मुझे महसूस तो ऐसे होता है जैसे पहले मैं आपसे कभी
मिला हूं क्या तू वही शख्स तो नहीं है जिसके गंजापन से लोग दूर हट जाते थे पहले तू
फकीर था अब अल्लाह ने तुझे बेशुमार माल आता किया है!
गंजा :(घमन्ड करते हैं
कहता है) ऐसी बात नहीं है
यह माल तो मुझे मेरे बड़ों के हाथों मिला है!
फरिश्ता :अगर तू अपनी बात में झूठा
है तो अल्लाह तुझे दोबारा तेरी पहली हालत पर लौटा दे!
उसके बाद फरिश्ता अंधा आदमी बनकर अंधे के पास
जाता है
फरिश्ता: (अंधे से कहता है) मैं एक मिस्कीन (गारीब) हूं और मुसाफिर
भी हूं हर तरह के इमदादी जराय खत्म हो गए हैं आज तो सिर्फ और सिर्फ तुम मेरा सहारा
हो या अल्लाह ताला मेरा सहारा है मैं तुझसे अल्लाह के जात के वास्ते से सवाल करता
हूं जिसने तुझे आंखे दी और बकरियों के रेवड़ से मालामाल किया
अंधा: (एतराफ करते हुए
और शुक्र कर अदा करते हुए कहता है) वाकई मैं पहले अंधा था अल्लाह ने मुझे बीना कर दिया ऐ मुसाफिर जा वह बकरियां हैं उन
में से जिस जिस को तू चाहता है पकड़ ले जिस पर दिल आए उसको छोड़ दे आज के दिन मैं
तुझे रोकुंगा नहीं मैं तेरे रास्ते में रुकावट नहीं बनूंगा सभी कुछ जो तू ले जाएगा
मैंने तुझे अल्लाह के लिए दिया!
फरिश्ता :(कहता है) ऐ नेक दिल इंसान अपने माल अपने पास ही रखो अल्लाह ने तुझे आजमाया था (इम्तिहान लिया था) अल्लाह ताला सिर्फ तुझ पर खुश हुआ बाकी तेरे आजमाएं जाने वाले दोनों साथियों से नाराज है!
1.
अल्लाह ताला का अपने बंदों का इंतिहान लेना यह
भी एक जमीन पर अल्लाह का तरीके कार है जैसा कि
अल्लाह ने कुरान में बार-बार अपने इंतिहान की खबर दी है
2.
आजमाइश हर तरह से
होती है चाहे वह जिस्म हो माल में हो या अवलाद वगैरह में हो!
3.
कभी-कभी फरिश्ते
इंसान का रूप धार लेते हैं और इंसानी शक्ल में वह गुफ्तगू करते हैं फरिश्ते इंसानी
शक्ल में ही मरीज को छूते हैं जिससे वह (मरीज) अल्लाह के हुक्म से शिफा याब होते हैं !
4.
आजमाए गए आदमी के
लिए मर्ज के जाने और खैर व आफियत के आने से बढ़कर कोई और चीज महबूब नहीं होती!
5.
अल्लाह ताला वह जात है जो रोज़ी देती है और
रोज़ी को रोक लेती है और वही जात अपनी कुदरत व हिकमत के बलबूते सखी को कंगाल बना
देती है!
6.
तोहीद और अदब का
तकाजा यह है कि शिफा और रोजी को सिर्फ और सिर्फ एक अकेले अल्लाह की तरफ मन्सूब
किया जाए!(जैसे कि अंधे ने
किया मैं तो पहले अंधा था अल्लाह ताला ने मेरी बिनाई वापस लौटा दी)
7.
जाहिल इंसान
सखावत के वक्त कंजूसी से काम लेता है और अकलमंद इंसान हमेशा सखावत को हाथ से जाने
नहीं देता जैसा कि अल्लाह के नबी सल्ला वसल्लम का फरमान है कि (हर दिन सुबह हर
आदमी के लिए दो फरिश्ते उतरते हैं उनमें एक दानी के लिए कहता है अल्लाह खर्च करने
वाले को देर तक रहने वाला रोजी अता कर? दूसरा फरिश्ता कंजूस के लिए कहता है अल्लाह माल पर सांप
बनकर बैठने वाले के माल को बर्बाद कर दे!
8.
कुछ दौलतमंद ऐसे
होते हैं जो अपने जमाने तंगदस्ती को भूल जाते हैं अगर उनको उनकी तंगी का जमाना याद
दिलाया जाए तो गुस्से की वजह से आपे से बाहर हो जाते हैं!
9.
जो आदमी अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करता है और
मुहताजों को कुछ देता रहता
है तो अल्लाह तआला मज़ीद उसको सखावत(दानाई) में बढ़ा देता है और उसके रिजर्क(रोज़ी ) में बरकत अता
करता है और जो आदमी कंजूसी से काम लेता है गोया कि वह नेअमत के छिन जाने पर अपने आप को हाजिर कर रहा है और
अल्लाह की नाराजगी को लब्बेक कह रहा है अल्लाह ताला का बेहतरीन फरमान है!
{अगर(मेरा) शुक्र करोगें तो
मै यक़ीनन तुम पर (नेअमत की) ज्यादती करुँगा
और अगर कहीं तुमने नाशुक्री की तो (याद रखो कि) यक़ीनन मेरा अज़ाब सख्त है }
10. नेअमत का इंकार इंतकाम को खींचता है और बंद बख्ती का जरिया बनता है
11. सखावत इनामात को खींच कर लाती है और आजमाइश इंतकाम को दूर ले जाती है जिससे अल्लाह रब्बुल आलमीन राज़ी होता है! उसके अलावा कंजूसी तो सिर्फ बुराई और अल्लाह की नाराजगी का घर है
12. मोमिन आदमी का यह तरीका है कि वह जब भी वादा करता है पूरा करता है कंजूसी कभी नहीं करता
और मुनाफिक आदमी वादा तो करता है लेकिन पूरा नहीं करता!
जैसा कि अल्लाह ताला ने मुनाफिक लोगों के बारे में फरमाया: इन (मुनाफेक़ीन) में से बाज़ ऐसे
भी हैं जो ख़ुदा से क़ौल क़रार कर चुके थे कि अगर हमें अपने फज़ल (व करम) से (कुछ माल) देगा तो हम ज़रूर
ख़ैरात किया करेगें और नेकोकार बन्दे हो जाऎंगे (75) तो जब ख़ुदा ने
अपने फज़ल (व करम) से उन्हें अता
फरमाया-तो लगे उसमें
बुख्ल करने और कतराकर मुंह फेरने
रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुनाफिक की 3 निशानियां हैं जब गुफ्तगू करता है तो झूठ बोलता है जब वादा करता है तो वादाखिलाफी करता है और जब उसके सुपुर्द अमानत रख्खी जाती है तो ख्यानत करता है
Assalamualaikum
ReplyDelete