नेपाल का इतिहास
नेपाल दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है। यह भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है और उत्तर में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में भूटान और दक्षिण में भारत से सीमित है। नेपाल का इतिहास बहुत पुराना है और यहां पर अनेक संस्कृतियों ने आकर निवास किया है।
आदिम काल में नेपाल में मुख्य रूप से किराँत, लिम्बु, मागर, राई, शेर्पा, गुरुङ्ग, नेवार और तामाङग समुदाय रहते थे। ये समुदाय अपनी अलग-अलग संस्कृतियों के साथ यहां निवास करते थे। नेपाल का प्राचीन नाम भु-क्तमन्डल था।
किराँत समुदाय नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता था। इस समुदाय के लोग जंगलों में रहते थे और मुख्य रूप से खेती और पशुपालन से जीवन यापन करते थे। लिम्बु समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता था और मुख्य रूप से खेती और पशुपालन करते थे।
मागर समुदाय नेपाल के पश्चिमी क्षेत्रों में निवास करता था। इस समुदाय के लोग खेती, पशुपालन और मणि उत्पादन
पशुपालन और मणि उत्पादन नेपाल के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इस देश में पशुओं का पालन और मणि उत्पादन एक लम्बे समय से चलती आ रही परंपरा है।
नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में पशुपालन की खास प्रथा है। यहां पर पशुओं का पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है और यह लोगों के लिए मुख्य आय का स्रोत होता है। यहां पर बकरियों, भेड़ों, गायों और बैलों का पालन किया जाता है। इन पशुओं से दूध, दही, घी, मांस, चमड़ा और गोबर उत्पादित किए जाते हैं जो लोगों के जीवन में उपयोगी होते हैं।
मणि उत्पादन भी नेपाल में एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। यहां पर ताराशोभा क्षेत्र, जेडो, मकसर और पुखराज जैसे अनेक प्रकार के मणियां पाए जाते हैं। इन मणियों का उत्पादन नेपाल के कुछ विशेष क्षेत्रों में होता है जो इन मणियों के अद्भुत रंग और क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। नेपाली मणियों की खास बात यह है कि ये प्राकृतिक रूप सेमूल रूप से नेपाल एक शिकारी और पशुपालन युक्त देश रहा है। विभिन्न प्रकार के पशु, जैसे गाय, भेड़, बकरी, भालू, हाथी, बाघ, चीता आदि यहाँ पाए जाते थे। इन पशुओं को पालतू बनाकर उत्पादों की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाती थी।
नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में खनिज संपदाएं मौजूद थीं, जिनमें से मणि एक मुख्य खनिज था। नेपाल में सीघ्री, पुखराज, मूंगा, फीरोजा, गोमेद और मोती जैसी कई प्रकार की मणियां पाई जाती हैं। इन मणियों का निर्यात भी किया जाता था और इससे देश को विदेशों से विपणित उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद मिलती थी।
मध्यकालीन काल में, नेपाल के विभिन्न राज्यों ने अपनी आपत्तिजनक स्थिति को सुधारने के लिए एक-दूसरे से सहयोग किया। मगर, 18वीं शताब्दी में नेपाल में अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ने लगा जिससे वह अपनी स्वतंत्रता खो बैठा।
ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत नेपाल भी आ गया और 1846 ई. में राजा प्रथम शाह द्वारा राजदूत लालितप्रसाद ठाकुर पर नेपाल का प्रथम अंग्रेजी आधिकारिक समझौता हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते के बाद, नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहा और स्वतंत्रता की लड़ाई अपने अंतिम चरण में उत्तराखण्ड, भारत और पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गई।
भारत और पाकिस्तान का विभाजन के बाद, नेपाल ने अपने संविधान का निर्माण किया और नेपाली का अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया। नेपाल ने अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई में बड़े नेताओं को जन्म दिया जैसे तुलसी गिरि, भूपेश्वर प्रसाद कोइराला, भानुभक्त आचार्य अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि 18वीं शताब्दी के बाद नेपाल के अधिकांश क्षेत्रों में शाही राजवंश शासन करता रहा। 1768 में पृथ्वी नारायण शाह नामक एक नेपाली शासक ने काठमांडू उपनगरी को जीतकर नेपाली इतिहास में अहम उल्लेखयोग्य राजवंश का आरम्भ किया।
नेपाल इतिहास में 19वीं शताब्दी नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय था। इस युग में नेपाल में ब्रिटिश आक्रमण का सामना करना पड़ा और नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य के विरोधी दलों के साथ अल्प समय तक संघर्ष करना पड़ा।
नेपाल इतिहास के इस अवधि में, नेपाल शासन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान सुधारित हुआ और राज्य का नक्शा पुनर्गठित किया गया। इस युग में, पहाड़ी राजा राजा प्रताप सिंह नेपाल के स्वतंत्रता के लिए लड़ा और ब्रिटिश साम्राज्य को हराकर नेपाल की सीमाएं आज़ाद कराई गईं।
20वीं शताब्दी में, नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हो गया।
1951 में राजदूतों के सहयोग से नेपाल में एक लोकतान्त्रिक संविधान लागू किया गया था। इस संविधान के बाद से नेपाल में नियंत्रित लोकतंत्र चला। 1959 में राजा महेन्द्र ने एक संविधान बनाया और एक प्रतिनिधि सभा बनाई जो लोकतंत्र के माध्यम से चलती थी। 1960 में राजा महेन्द्र ने संविधान को रद्द कर एक संशोधित संविधान बनाया, जिसमें वह स्वयं को नेपाल के राजा के रूप में घोषित कर दिया गया था। उन्होंने अपने शासन के दौरान कुछ विशेष कदम उठाए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था नेपाल के अमेरिकी संबंधों का पुनरावलोकन और नेपाल के संबंधों को विश्व के अन्य देशों से मजबूत करना।
1962 में नेपाल में एक तीन सदस्यीय राज्य परिषद बनाई गई, जिसमें अधिकार और अधिकृतता के विषयों पर चर्चा की जाती थी। इस समय नेपाल की आर्थिक स्थिति भी सुधारती गई थी।
1990 में नेपाल में एक नई संविधान बनाई गई, जिससे नेपाल में संविधानीय लोकतंत्र की स्थापना हुई। नेपाल में 1990 में एक लम्बे समय तक चलने वाले लोकतंत्र का संघर्ष चल रहा था। राजदूतों के सहयोग से नेपाल में नई संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का आयोजन किया गया। इस संविधान सभा में सभी वर्गों के लोग शामिल हुए और एक नया संविधान बनाया गया जो लोकतंत्र की स्थापना करता है।
नेपाल की संविधान संशोधन के बाद राजनीति में बहुत से बदलाव आए। 1991 में नेपाल में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दलों ने भाग लिया। इस बाद नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई और स्वतंत्र भारत की तरह नेपाल अब एक लोकतंत्र है।
इसके बाद से नेपाल में अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी है। बहुजन समुदायों को उनके अधिकारों की सुरक्षा देने के लिए कानून बनाए गए हैं। नेपाल में अनेक समुदायों जैसे माओवादी और माधेशी आंदोलन जैसे आंदोलन हुए हैं जो समाज के बदलते संरचना को दर्शाते हैं।
1996 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी नामक संगठन द्वारा आरंभ किए गए सशस्त्र विरोध के दौरान नेपाल ने एक बड़ी संकट का सामना किया। इस संगठन ने एक नए नेपाल की स्थापना का वादा किया और नेपाल सरकार के खिलाफ जंग शुरू कर दी। यह जंग लगभग दस वर्ष तक चली और इसमें करीब 13,000 लोगों की मौत हुई।
2001 में नेपाल के राजा ग्यानेन्द्र अपने निजी आश्रय से एक सरकार की स्थापना करने के लिए नेपाल संविधान संशोधन कर लिया। उन्होंने संसद को बहिष्कार कर दिया और संविधान को तब्दील कर दिया, जिससे राजा नेपाल की सरकार को सीधे निर्वाचित कर सकते थे। इससे नेपाल में एक तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल बन गया।
2006 में नेपाल में एक बड़ी संविधानिक बदलाव की घोषणा की गई, जिससे नेपाल में राजतंत्र की स्थापना हुई। नेपाल में स्थानीय निकायों और संघीय संसद के चुनाव हुए और नेपाल का पहला राष्ट्रपति रामबरन यादव ने अपना पदभार संभाला।
देश में इसके बाद कई बदलाव हुए। 2001 में राजा भिरेन्द्र बिरवा नेपाल में सत्ता में थे लेकिन उनके द्वारा लागू तंत्र से लोगों में असंतोष था। उनके राज्य के नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी- माओवादी ने भी उनके खिलाफ आवाज उठाया था।
2001 में के बाद 2008 तक नेपाल में संघीय लोकतंत्र की स्थापना हुई जिसमें संविधान की नई रचना की गई। इस संविधान के अनुसार देश को संघीय गणतंत्र में बदल दिया गया था। नेपाल की अगली सरकार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी की थी जो 2018 में चुनी गई।
नेपाल की अर्थव्यवस्था भी इस समय सुधार और विकास की तरफ बढ़ती हुई थी। हालांकि देश के कुछ क्षेत्रों में अभी भी संकट और समस्याएं हैं जैसे कि कई लोग नेपाल से विदेश जाकर रोजगार ढूँढते हैं।
इस प्रकार नेपाल एक ऐसा देश है जिसने अपने इतिहास में कई बदलाव देखे हैं। वर्तमान में देश संविधानीय लोकतंत्र के रूप में अपने नागरिकों को राजनीत कुल मिलाकर, नेपाल का इतिहास उसके प्राचीनकाल से लेकर आज तक बहुत रोचक और उत्तेजक रहा है। इसका विस्तृत अध्ययन करने से हमें नेपाली समाज और संस्कृति की समझ में मदद मिलती है और हमें उस देश की विकास यात्रा में भी एक अधिक संपूर्ण तथ्य सामने आते हैं।
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