सोने का मट्का घड़ा
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया !
“एक
व्यक्ति ने किसी (दूसरे व्यक्ति) से ज़मीन ख़रीदी और ख़रीदार को उस ज़मीन से सोने का
घड़ा मिला, इस लिए
ख़रीदार : (ने ज़मीन बेचने वाले से कहा) ! आप
अपना सोना मुझ से लेलें, क्यूंकि मैं ने आप से ज़मीन ख़रीदी थी, सोना नहीं ख़रीदा था। उस पर
ज़मीन बेचने वाले:( ने
कहा) ! में ने ज़मीन और जो कुछ उस मैं था (सब) आप को बेच दिया था,
बहुत देर तक दोनो तकरार करते रहेे फिर
वह दोनों एक तीसरे फैसला करने वाले व्यक्ति के पास अपना मआमला लेकर गए। फैसिला
करने वाला दोनो की बात सुनता है.
हाकिम -(फ़ैसला करने वाले ने उन दोनों से पूछा) ! तुम्हारी औलाद
हैं ?
उन में से एक ने कहा ! मेरा लड़का है। और
दूसरे
ने कहा ! मेरी एक लड़की है।
फ़ैसला
करने वाले ने कहा ! इन दोनों की आपस में शादी कर दो और तुम और जो कुछ खर्च आए उन
के उपर ख़र्च करो दो और कुछ सदक़ा कर दो।”
इस कहानी के काबिल अमल
फवाइद
1. अमानत को उअपस करना चाहिएमक्योकि अल्लाह का
फरमान -
إِنَّ
اللَّهَ يَأْمُرُكُمْ أَنْ تُؤَدُّوا الْأَمَانَاتِ إِلَى أَهْلِهَا
बेशक अल्लाह ताला तुमको हुकुम देता है कि अपने
पास रखी हुई तमाम अमानत है उनके मालिकों को वापस कर दो
2. खजाना पर क्नाअत करने वाले पर खैर व
बरकत की बारिश होती है
3. तमाम झगड़ों का फैसला किसी शरई काम जानने वाले आलम से करवाना चाहिए जो कि किताबोसुन्नत को खूब जानता हो
ना कि किसी मालदार या
हाकिम करवाया जाए जो कि माल और वक्त बर्बाद करने वाला हो| अल्लाह ताला फरमाता اِنْ
تَنَازَعْتُمْ فِي شَيْءٍ فَرُدُّوهُ إِلَى اللَّهِ وَالرَّسُول
ऐ मोमिनों अगर तुम किसि चीज में झगड़ पड़ो तो फिर झगड़े का खतम करने के लिए
अपना फैसिला अल्लह और उसके रसूल के हवाले कर दो|
पर हो तो झगड़े को खत्म करने के लिए अपना फैसला अल्लाह और उसके रसूल के हवाले कर दो
4. अल्लाह जितना भी दे उसी पर खुश होजाना चाहिए क्यों कि जो आदमी अल्लाह के दियेपर
राजी हो जाता है उस से बढ़ कर कोई माल दार नहीं
रसुल अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
{ ऐ अल्लाह के बन्दे उतने पर राजी हो जा जितना अल्लह ने तुझे दिया है तो तु
सभी लोगों से ज्यादा मालदार और बे परवाह हो जाये गा}
दूसरी जगह रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “दुनिया के सामान की बढ़त ख़ुशहाली यानि
अमीरी नहीं है बल्कि असल ख़ुशहाली तो दिल की अमीरी है।”
5. हर एक का रिज्क तक्सीम शुदा
है॥
उतने वक्त और जिन्दगी की मुद्दत तक अपना लिखा हुआ
रोजी जरूर पाए गा|
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
لوْ
أنَّ ابنَ آدمَ هربَ منْ رزقِهِ كمَا يهربُ منَ الموتِ، لأدركَهُ رزقُهُ كمَا يدركُهُ الموتُ
अगर औलादे
आदम अपनी रोजी भागने लगे जैसा कि मौत से भागता है फिर भी उस को रोजी मिल जाती है
जैसा कि मौत उस का आ लेती है
6.
हर मुसलमान पर जरूरी है कि हलाल रोजी पर इक्तिफा करे और
हराम को छोड़ दे रोजी के हासिल करने के लिए हलाल तरीके को अपनाए|
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
-" لا تستبطئوا الرزق، فإنه لم يكن عبد ليموت حتى يبلغ آخر رزق هو له، فاجملوا في الطلب: اخذ الحلال وترك الحرام".
“यह न समझो कि रिज़्क़ नहीं मिले गा, कोई आदमी उस समय तक नहीं मरता जब तक अपने
(मुक़दद्र में लिखे हुए) रिज़्क़ को पूरा नहीं कर लेता। संयम के साथ मांगा करो यानी
हलाल चीज़ इस्तेमाल करो और हराम को छोड़ दो।”
7. इन्साफ करने वाला हाकिम हमेशा झगड़ा करने वाले लोगों को राज़ी करता है|
8.
ऐसी लालच नहीं करनी चाहिए जो दूर की कोशिश करने से भी हासिल ना हो.
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