Monday, March 13, 2023

नेपाल का इतिहास

 नेपाल का इतिहास

नेपाल दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है। यह भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है और उत्तर में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में भूटान और दक्षिण में भारत से सीमित है। नेपाल का इतिहास बहुत पुराना है और यहां पर अनेक संस्कृतियों ने आकर निवास किया है।

आदिम काल में नेपाल में मुख्य रूप से किराँत, लिम्बु, मागर, राई, शेर्पा, गुरुङ्ग, नेवार और तामाङग समुदाय रहते थे। ये समुदाय अपनी अलग-अलग संस्कृतियों के साथ यहां निवास करते थे। नेपाल का प्राचीन नाम भु-क्तमन्डल था।

किराँत समुदाय नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता था। इस समुदाय के लोग जंगलों में रहते थे और मुख्य रूप से खेती और पशुपालन से जीवन यापन करते थे। लिम्बु समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता था और मुख्य रूप से खेती और पशुपालन करते थे।

मागर समुदाय नेपाल के पश्चिमी क्षेत्रों में निवास करता था। इस समुदाय के लोग खेती, पशुपालन और मणि उत्पादन

पशुपालन और मणि उत्पादन नेपाल के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इस देश में पशुओं का पालन और मणि उत्पादन एक लम्बे समय से चलती आ रही परंपरा है।

नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में पशुपालन की खास प्रथा है। यहां पर पशुओं का पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है और यह लोगों के लिए मुख्य आय का स्रोत होता है। यहां पर बकरियों, भेड़ों, गायों और बैलों का पालन किया जाता है। इन पशुओं से दूध, दही, घी, मांस, चमड़ा और गोबर उत्पादित किए जाते हैं जो लोगों के जीवन में उपयोगी होते हैं।

मणि उत्पादन भी नेपाल में एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। यहां पर ताराशोभा क्षेत्र, जेडो, मकसर और पुखराज जैसे अनेक प्रकार के मणियां पाए जाते हैं। इन मणियों का उत्पादन नेपाल के कुछ विशेष क्षेत्रों में होता है जो इन मणियों के अद्भुत रंग और क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। नेपाली मणियों की खास बात यह है कि ये प्राकृतिक रूप सेमूल रूप से नेपाल एक शिकारी और पशुपालन युक्त देश रहा है। विभिन्न प्रकार के पशु, जैसे गाय, भेड़, बकरी, भालू, हाथी, बाघ, चीता आदि यहाँ पाए जाते थे। इन पशुओं को पालतू बनाकर उत्पादों की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाती थी।

नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में खनिज संपदाएं मौजूद थीं, जिनमें से मणि एक मुख्य खनिज था। नेपाल में सीघ्री, पुखराज, मूंगा, फीरोजा, गोमेद और मोती जैसी कई प्रकार की मणियां पाई जाती हैं। इन मणियों का निर्यात भी किया जाता था और इससे देश को विदेशों से विपणित उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद मिलती थी।

मध्यकालीन काल में, नेपाल के विभिन्न राज्यों ने अपनी आपत्तिजनक स्थिति को सुधारने के लिए एक-दूसरे से सहयोग किया। मगर, 18वीं शताब्दी में नेपाल में अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ने लगा जिससे वह अपनी स्वतंत्रता खो बैठा।

ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत नेपाल भी आ गया और 1846 ई. में राजा प्रथम शाह द्वारा राजदूत लालितप्रसाद ठाकुर पर नेपाल का प्रथम अंग्रेजी आधिकारिक समझौता हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते के बाद, नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहा और स्वतंत्रता की लड़ाई अपने अंतिम चरण में उत्तराखण्ड, भारत और पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में फैल गई।

भारत और पाकिस्तान का विभाजन के बाद, नेपाल ने अपने संविधान का निर्माण किया और नेपाली का अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया। नेपाल ने अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई में बड़े नेताओं को जन्म दिया जैसे तुलसी गिरि, भूपेश्वर प्रसाद कोइराला, भानुभक्त आचार्य अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि 18वीं शताब्दी के बाद नेपाल के अधिकांश क्षेत्रों में शाही राजवंश शासन करता रहा। 1768 में पृथ्वी नारायण शाह नामक एक नेपाली शासक ने काठमांडू उपनगरी को जीतकर नेपाली इतिहास में अहम उल्लेखयोग्य राजवंश का आरम्भ किया।

नेपाल इतिहास में 19वीं शताब्दी नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय था। इस युग में नेपाल में ब्रिटिश आक्रमण का सामना करना पड़ा और नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य के विरोधी दलों के साथ अल्प समय तक संघर्ष करना पड़ा।

नेपाल इतिहास के इस अवधि में, नेपाल शासन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान सुधारित हुआ और राज्य का नक्शा पुनर्गठित किया गया। इस युग में, पहाड़ी राजा राजा प्रताप सिंह नेपाल के स्वतंत्रता के लिए लड़ा और ब्रिटिश साम्राज्य को हराकर नेपाल की सीमाएं आज़ाद कराई गईं।

20वीं शताब्दी में, नेपाल ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हो गया।

1951 में राजदूतों के सहयोग से नेपाल में एक लोकतान्त्रिक संविधान लागू किया गया था। इस संविधान के बाद से नेपाल में नियंत्रित लोकतंत्र चला। 1959 में राजा महेन्द्र ने एक संविधान बनाया और एक प्रतिनिधि सभा बनाई जो लोकतंत्र के माध्यम से चलती थी। 1960 में राजा महेन्द्र ने संविधान को रद्द कर एक संशोधित संविधान बनाया, जिसमें वह स्वयं को नेपाल के राजा के रूप में घोषित कर दिया गया था। उन्होंने अपने शासन के दौरान कुछ विशेष कदम उठाए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था नेपाल के अमेरिकी संबंधों का पुनरावलोकन और नेपाल के संबंधों को विश्व के अन्य देशों से मजबूत करना।

1962 में नेपाल में एक तीन सदस्यीय राज्य परिषद बनाई गई, जिसमें अधिकार और अधिकृतता के विषयों पर चर्चा की जाती थी। इस समय नेपाल की आर्थिक स्थिति भी सुधारती गई थी।

1990 में नेपाल में एक नई संविधान बनाई गई, जिससे नेपाल में संविधानीय लोकतंत्र की स्थापना हुई। नेपाल में 1990 में एक लम्बे समय तक चलने वाले लोकतंत्र का संघर्ष चल रहा था। राजदूतों के सहयोग से नेपाल में नई संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का आयोजन किया गया। इस संविधान सभा में सभी वर्गों के लोग शामिल हुए और एक नया संविधान बनाया गया जो लोकतंत्र की स्थापना करता है।

नेपाल की संविधान संशोधन के बाद राजनीति में बहुत से बदलाव आए। 1991 में नेपाल में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दलों ने भाग लिया। इस बाद नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई और स्वतंत्र भारत की तरह नेपाल अब एक लोकतंत्र है।

इसके बाद से नेपाल में अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी है। बहुजन समुदायों को उनके अधिकारों की सुरक्षा देने के लिए कानून बनाए गए हैं। नेपाल में अनेक समुदायों जैसे माओवादी और माधेशी आंदोलन जैसे आंदोलन हुए हैं जो समाज के बदलते संरचना को दर्शाते हैं।

1996 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी नामक संगठन द्वारा आरंभ किए गए सशस्त्र विरोध के दौरान नेपाल ने एक बड़ी संकट का सामना किया। इस संगठन ने एक नए नेपाल की स्थापना का वादा किया और नेपाल सरकार के खिलाफ जंग शुरू कर दी। यह जंग लगभग दस वर्ष तक चली और इसमें करीब 13,000 लोगों की मौत हुई।

2001 में नेपाल के राजा ग्यानेन्द्र अपने निजी आश्रय से एक सरकार की स्थापना करने के लिए नेपाल संविधान संशोधन कर लिया। उन्होंने संसद को बहिष्कार कर दिया और संविधान को तब्दील कर दिया, जिससे राजा नेपाल की सरकार को सीधे निर्वाचित कर सकते थे। इससे नेपाल में एक तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल बन गया।

2006 में नेपाल में एक बड़ी संविधानिक बदलाव की घोषणा की गई, जिससे नेपाल में राजतंत्र की स्थापना हुई। नेपाल में स्थानीय निकायों और संघीय संसद के चुनाव हुए और नेपाल का पहला राष्ट्रपति रामबरन यादव ने अपना पदभार संभाला।

देश में इसके बाद कई बदलाव हुए। 2001 में राजा भिरेन्द्र बिरवा नेपाल में सत्ता में थे लेकिन उनके द्वारा लागू तंत्र से लोगों में असंतोष था। उनके राज्य के नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी- माओवादी ने भी उनके खिलाफ आवाज उठाया था।

2001 में के बाद 2008 तक नेपाल में संघीय लोकतंत्र की स्थापना हुई जिसमें संविधान की नई रचना की गई। इस संविधान के अनुसार देश को संघीय गणतंत्र में बदल दिया गया था। नेपाल की अगली सरकार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी की थी जो 2018 में चुनी गई।

नेपाल की अर्थव्यवस्था भी इस समय सुधार और विकास की तरफ बढ़ती हुई थी। हालांकि देश के कुछ क्षेत्रों में अभी भी संकट और समस्याएं हैं जैसे कि कई लोग नेपाल से विदेश जाकर रोजगार ढूँढते हैं।

इस प्रकार नेपाल एक ऐसा देश है जिसने अपने इतिहास में कई बदलाव देखे हैं। वर्तमान में देश संविधानीय लोकतंत्र के रूप में अपने नागरिकों को राजनीत कुल मिलाकर, नेपाल का इतिहास उसके प्राचीनकाल से लेकर आज तक बहुत रोचक और उत्तेजक रहा है। इसका विस्तृत अध्ययन करने से हमें नेपाली समाज और संस्कृति की समझ में मदद मिलती है और हमें उस देश की विकास यात्रा में भी एक अधिक संपूर्ण तथ्य सामने आते हैं।

भारत का इतिहास

 भारत का इतिहास

भारत एक प्राचीन देश है जिसका इतिहास लगभग 5000 वर्षों से अधिक समय से शुरू होता है। भारत के इतिहास में बहुत से महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं, जो उसकी विशेषता को दर्शाती हैं। भारत का इतिहास तीन युगों में विभाजित किया जा सकता है - प्राचीन युग, मध्यकालीन युग और आधुनिक युग।

प्राचीन युग (वेदिक काल, मौर्य काल, गुप्त काल और भारतीय धर्म)

भारत का प्राचीन युग वेदिक काल से शुरू हुआ, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व से लेकर 500 ईसा पूर्व तक चला। इस युग में वेदों का संस्कृत भाषा में लिखा जाना शुरू हुआ। वेद भारतीय संस्कृति की मूल पुस्तक हैं।

उसके बाद मौर्य साम्राज्य ने भारत का समूचा उत्तरी भाग पर विस्तार किया था। इसके बाद गुप्त साम्राज्य आया और भारतीय इतिहास में एक स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। इस युग में भारत ने धर्म, कला और साहित्य के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

मध्यकालीन युग भारतीय इतिहास का दूसरा युग है, जो 8वीं सदी से 18वीं सदी तक चला। इस युग में भारत के इतिहास में अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं।

मुगल साम्राज्य के शासनकाल में भारतीय संस्कृति का विकास हुआ। मुगल शासकों ने भारत में साम्राज्य की स्थापना की और वहां अपनी संस्कृति का प्रचार किया। मुगल सम्राट अकबर का शासनकाल भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। अकबर ने भारत में धर्म और सामाजिक रूप से एकता को प्रचारित किया और अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की, जैसे कि नवरत्नों का प्रचार और ताजमहल का निर्माण।

इसके अलावा, भारत में विजयनगर साम्राज्य भी इस युग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया था और उनकी संस्कृति, कला और शासन पद्धति अत्यंत महत्वपूर्ण थी।

इस युग में भारत का इतिहास विशेष रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य संघर्षों और समझौतों के साथ चला। समाज इस युग में बहुत विस्तृत था, जो अपने आप में बहुत समृद्ध था। इस युग में भारत में अनेक धर्मों, संप्रदायों, जातियों और वर्गों की उत्पत्ति हुई।

भारत में इस युग में वैष्णव, शैव, शाक्त और सिख धर्मों का उदय हुआ था। इसके अलावा, भारत में मुस्लिम धर्म का प्रचार भी हुआ था जो मुगल साम्राज्य के शासनकाल में ज़ोरों पर था।

इस युग में समाज में जाति व्यवस्था ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जाति व्यवस्था के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की स्थिति और कामकाज तय होते थे। उत्तर भारत में ब्राह्मणों का राजनैतिक और सामाजिक महत्व था जबकि दक्षिण भारत में अनेक अन्य जातियों का महत्व था।

इस युग में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष भी था। जनजाति, श्रमिक, व्यापारी और विद्वानों के बीच ये संघर्ष मुख्य रूप से संपत्ति और स्तर के बारे में थे। उत्तर भारत में ब्राह्मणों को सबसे ऊपर स्थान दिया जाता था और वे दक्षिण भारत की अन्य जातियों से अलग होते थे। उन्हें उच्च शिक्षा और शासन का अधिकार था।

दूसरी ओर, श्रमिक वर्ग समाज की सबसे निम्न श्रेणी में थे। उन्हें बहुत कम उपलब्धियां मिलती थीं और उन्हें शोषण की जाति में रखा जाता था। यह वर्ग अपनी मांगों के लिए स्थानों पर धरने और हड़तालें करता था।

व्यापारी वर्ग समाज में मध्यम वर्ग के रूप में थे। उन्हें अपनी संपत्ति को बढ़ाने के लिए व्यवसाय करना पड़ता था। वे समाज के ऊपरी वर्गों से कम थे, लेकिन उनका महत्व था क्योंकि वे समाज के आर्थिक विकास में मदद करते थे।

विद्वानों का वर्ग समाज के ऊपरी वर्गों में था। वे अधिकतर ब्राह्मणों थे जो वेदों, शास्त्रों, विज्ञान और तकनीक के ज्ञान में समर्थ थे। उन्हें उच्च शिक्षा दी जाती थी और वे धर्म, दर्शन, संस्कृति और विज्ञान में विशेषज्ञ थे। वे समाज के आध्यात्मिक और शैक्षणिक नेताओं के रूप में काम करते थे।

मध्यकालीन भारत में विद्वानों को समाज का श्रेष्ठ वर्ग माना जाता था। वे समाज के धर्म, न्याय, विज्ञान, और व्यवस्था के बारे में लोगों को बोध करते थे। इन विद्वानों के माध्यम से लोगों को अपने धर्म, संस्कृति और अन्य विषयों पर ज्ञान प्राप्त होता था। वे अपने ज्ञान का उपयोग करके समाज को सुधारने में मदद करते थे।

इस युग में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष भी था, लेकिन विद्वानों का वर्ग इस संघर्ष से अलग था। वे अपनी विद्वता के आधार पर समाज को संबोधित करते थे और समाधान के लिए सुझाव देते थे।

विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष भी था। जनजाति, श्रमिक, व्यापारी और विद्वानों के बीच संघर्ष था। जनजाति और श्रमिक वर्ग अपनी असुरक्षित स्थिति के कारण स्वतंत्रता और अधिकारों की मांग करते थे। उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था जैसे कि दरिद्रता, बेरोजगारी और उनकी असुरक्षित अस्तित्व के कारण होने वाली दरिद्रता।

व्यापारियों का वर्ग अपने व्यापार में स्थिरता और सफलता के लिए लगातार मेहनत करता रहा। इन व्यापारियों ने समाज की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद की। इस युग में बाजारों का प्रभाव बढ़ा था और व्यापार के लिए नए संसाधनों की तलाश की जा रही थी।

विद्वानों का वर्ग समाज के ऊपरी वर्गों में था। वे समाज के आध्यात्मिक और शैक्षणिक नेताओं के रूप में काम करते थे। वे समाज के धर्म, न्याय, विज्ञान, और व्यवस्था के बारे में लोगों को बोध करते थे। इन विद्वानों के माध्यम से लोगों को अपने धर्मसंस्कार और ऐतिहासिक ज्ञान के बारे में जानकारी प्राप्त होती थी। वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को धर्म, योग, ध्यान, वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण आदि के बारे में सिखाते थे। इसके अलावा वे ज्योतिष, गणित, वैद्यकीय विज्ञान, संस्कृत भाषा आदि के ज्ञान को भी बांटते थे।

इस युग में वैदिक धर्म और बौद्ध धर्म दोनों थे। वैदिक धर्म का प्रभाव भारतीय समाज पर अधिक था। वैदिक धर्म में यज्ञ, हवन, तप, ध्यान आदि के माध्यम से ईश्वर की पूजा की जाती थी। इसके अलावा उपनिषदों में अध्यात्म, आत्मा, मोक्ष आदि के विषयों पर विस्तार से विचार किया गया था।

बौद्ध धर्म भारत में महावीर और बुद्ध के जीवन से उत्पन्न हुआ था। यह धर्म अहिंसा, करुणा और मध्यम मार्ग को महत्व देता था। बौद्ध धर्म के अनुयायी ध्यान, तपस्या, प्रतिमा पूजा आदि के माध्यम से ईश्वर की पूजा करते थे।

Sunday, February 26, 2023

नमाज का तरीका , नमाज पढ़ने का सहीह तरीका, नमाज का नबवी तरीका, NAMAZ PARHNE KA TAREEKA,

 

fcfLeYykfgjZgekfujZghe

vYykg ds uke ls vkjEHk djrk gw¡ tks vfr esgjcku vkSj n;kyq gSA

الحمد لله وحده، والصلاة والسلام على عبده ورسوله محمد، وآله وصحبه.

أما بعد:

uch lYyYykgq vySfg o lYye dh uekt+ ds rjhd+k ds c;ku esa ;g dqN lafNIr ckrsa gSa] eSa us pkgk fd izR;sd eqlyeku iq:"k ,oa L=h dh lsok esa bu ckrksa dks izLrqr dj nw¡] rkfd bu ls voKr gksus okyk izR;sd O;fDr uekt+ ds ckjs esa uch lYyYykgq vySfg o lYye dh iSjoh djus dk iz;kl djs] D;ksafd vki lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((صَلُّوا كَمَا رَأَيْتُمُونِي أُصَلِّي ))

^^rqe mlh rjg uekt+ i<+ks ftl rjg eq>s uekt+ i<+rs ns[kk gSA** ¼lghg cq[k+kjh½

vc uekt+s ucoh dk rjhd+k ikBdksa dh lsok esa izLrqr gS%

1- uekt+h vPNh rjg ¼eqdEey½ oqt+w djs] vPNh rjg oqt+w dk eryc ;g gS fd vYykg rvkyk us ftl izdkj oqt+w djus dk vkns'k fn;k gS mlh izdkj oqt+w fd;k tk,] vYykg lqCgkugq o rvkyk dk Qjeku gS%

$pkšr'¯»tƒ] šúïÏ%©!$# (#þqãYtB#uä #sŒÎ) óOçFôJè% n<Î) Ío4qn=¢Á9$# (#qè=Å¡øî$$sù öNä3ydqã_ãr öNä3tƒÏ÷ƒr&ur n<Î) È,Ïù#tyJø9$# (#qßs|¡øB$#ur öNä3ÅrâäãÎ/ öNà6n=ã_ör&ur n<Î) Èû÷üt6÷ès3ø9$# 4 [ [المائدة:6]

^^,s bZeku okyks ! tc rqe uekt+ ds fy, mBks rks vius eq¡g dks vkSj vius gkFkksa dks dksgfu;ksa lesr /kks yks] vkSj vius ljksa dk elg djks] vkSj vius ik¡oksa dks V[kuksa lesr /kks yksA** ¼lwjrqy ekbZnk%6½

vkSj uch lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((لَا تُقْبَلُ صَلَاةٌ بِغَيْرِ طُهُورٍ))

^^oqt+w ds fcuk dksbZ uekt+ d+cwy ugha gksrhA** ¼lghg eqfLye½

blh izdkj vki lYyYykgq vySfg o lYye us mfpr <ax ls uekt+ u i<+us okys vkneh ls Qjek;k%

((إِذَا قُمْتَ إِلَى الصَّلَاةِ فَأَسْبِغِ الْوُضُوءَ))

^^tc rqe uekt+ ds fy, mBks rks vPNh rjg ¼eqdEey½ oqt+w djksA**

2- uekt+h tgk¡ dgha Hkh gks vius iwjs 'kjhj ds LkkFk fd+Cyk &[kkuk dv~ck& dh vksj viuk eq¡g dj ys vkSj Qt+Z ;k uQ~y tks uekt+ i<+uk pkgrk gks fny ls ml dh uh;r djs] t+qcku ls uekt+ dh uh;r u djs] D;ksafd t+qcku ls uh;r djuk ¼uch lYyYykgq vySfg o lYye½ ls lkfcr ¼izekf.kr½ ugha gS] cfYd og fcn~vr gS] bl fy, fd t+qcku ls uh;r u rks uch lYyYykgq vySfg o lYye us dh gS vkSj u gh vki ds lgkck jft+;Yykgq vUgqe usA uekt+h vxj beke ;k vdsys uekt+ i<+us okyk gS rks vius lkeus lq=k ¼vFkkZr ydM+h ;k dksbZ vU; pht+ tks uekt+h vkSj ml ds lkeus ls x+qt+jus okys ds chp vkM+ vkSj insZ dk dke ns½ j[k ys( D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye us bldk vkns’k fn;k gSA

fd+Cyk dh vksj eq¡g djuk uekt+ ds fy, 'krZ gS] flok; dqN ifjfpr elkbZy ds tks bl ls eql~rluk ¼fHkUu½ gSa vkSj og vgys bYe &fo}kuksas& dh fdrkcksa esa mfYyf[kr gSaA

3- ^^vYykgq vDcj** dgrs gq, rd~chj rgjhek dgs vkSj viuh fuxkg lTnk dh txg ij j[ksA

4- rd~chj rgjhek dgrs le; vius gkFkksa dks eksa<ksa rd ;k dkuksa dh ykS rd mBk,A

5- vius nksuksa gkFkksa dks lhus ij bl izdkj j[ks fd nk;k¡ gkFk ck;sa gkFk dh gFksyh] dykbZ vkSj ckt+w ij gks] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye ls ,slk gh lkfcr gS] tks okby fcu gqtz vkSj d+chlg fcu gqYc rkbZ dh gnhl esa of.kZr gS ftls mUgksa us vius cki gqYc rkbZ ds okLrs ls fjok;r fd;k gSA

6- bl ds ckn uekt+h ds fy, eluwu gS fd nqvk&,&bfLrQrkg &luk& i<+s] nqvk&,&bfLrQrkg ;g gS%

((اللَّهُمَّ بَاعِدْ بَيْنِي وَبَيْنَ خَطَايَايَ كَمَا بَاعَدْتَ بَيْنَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ اللَّهُمَّ نَقِّنِي مِنْ الْخَطَايَا كَمَا يُنَقَّى الثَّوْبُ الْأَبْيَضُ مِنْ الدَّنَسِ اللَّهُمَّ اغْسِلْ خَطَايَايَ بِالْمَاءِ وَالثَّلْجِ وَالْبَرَدِ))

mPpkj.k%& vYykgqEek ckbn cSuh o cSuk [krk;k;k dek ckvRrk cSuy ef'jd+s oy efX+jc] vYykgqEek ufD+d+uh feuy [krk;k dek ;quD+d+LlkScqy vC;t+ks feun~&nul] vYykgqEefX+ly [krk;k;k fcy~ek;s oLlYts oy cjnA

^^,s vYykg ! rw esjs chp vkSj esjs xqukgksa ds chp ,slh nwjh dj ns tSlh nwjh rw us iwjc vkSj if'pe ds chp dh gSA ,s vYykg ! eq>s esjs xqukgksa ls bl rjg ifo= dj ns ftl rjg lQsn diM+k eSy dqpSy ls lkQ fd;k tkrk gSA ,s vYykg ! esjs xqukgksa dks ikuh] cjQ vkSj vksyksa ls /kqy nsA** ¼cq[kkjh o eqfLye½

vkSj vxj pkgs rks bl nqvk dh txg ;g nqvk&,&bfLrQrkg i<+s%

((سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ وَتَعَالَى جَدُّكَ وَلَا إِلَهَ غَيْرُكَ))

mPpkj.k%& lqCgkudYykgqEek o fcgfEndk o rckjdLeqdk o rvkyk tíqdk o yk bykgk xSjqdkA

^^,s vYykg ! rw ikd gS vkSj ge rsjh iz'kalk djrs gSa] rsjk uke cjdr okyk gS vkSj rsjh ¼efgek½ 'kku Å¡ph gS] vkSj rsjs flok dksbZ lPpk ev~cwn ¼iwT;½ ughaA** ¼ulkbZ½

vkSj vxj bu nksuksa nqvkoksa ds vfrfjDr uch lYyYykgq vySfg o lYye ls lkfcr dksbZ vkSj nqvk&,&bfLrQrkg i<+s rks dksbZ gjt dh ckr ugha] cfYd Js"B ;g gS fd dHkh dksbZ nqvk&,&bfLrQrkg i<+s vkSj dHkh dksbZ nqvk&,&bfLrQ~rkg] D;skafd bl ls uch djhe lYyYykgq vySfg o lYye dh eqdEey iSjoh gks tkrh gSA blds ckn ^^vÅt+ks fcYykfg feu'k~ & 'kSrkfujZthe] fcfLeYYkkfgjZgekfujZghe** i<+ dj l wjrqy Qkfrgk i<+s] D;ksafd jlwyqYykg lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

(( لَا صَلَاةَ لِمَنْ لَمْ يَقْرَأْ بِفَاتِحَةِ الْكِتَابِ))

^^ftl us lwjrqy Qkfrgk ugha i<+h mldh uekt+ ughaA** ¼lghg eqfLye½

lwjrqy Qkfrgk ds ckn tg~jh ¼t+ksj ls i<+h tkus okyh½ uekt+ksa esa Å¡ph vkokt+ ls vkSj fljhZ ¼/kheh vkokt+ ls i<+h tkus okyh½ uekt+ksa esa /kheh vkokt+ ls ^^vkehu* dgsA fQj d+qj~vku ls tks dqN Hkkx ;kn gks mls i<+s] vQt+y ;g gS fd t+qgj] vlz] vkSj b'kk dh uekt+ksa esa lwjrqy Qkfrgk ds ckn volkrs eqQLly ¼lwjr vEek ls lwjr ySy rd½ ls i<+s] Qtz esa frokys eqQLly ¼lwjr d+kQ+ ls lwjr eqjlykr rd½ ls vkSj ex+fjc esa fd+lkj eqQLly ¼lwjr t+qgk ls lwjr ukl rd½ ls] vkSj dHkh dHkkj frokys eqQLly ;k volkrs eqQLly ls i<+s tSlk fd uch lYyYykgq vySfg o lYye ls ,slk lkfcr gSA lqUur dk rjhd+k ;g gS fd vlz dh uekt+ t+qgj ls gYdh gksA

7- vYykgq vDcj dgrs gq, vkSj vius gkFkksa dks eksa<ksa rd ;k dkuksa dh ykS rd mBkrs gq, :dwv djs] :dwv esa lj dks ihB dh cjkcjh esa dj ys vkSj gkFkksa dks ?kqVuksa ij bl rjg j[ks fd vaxqfy;k¡ QSyh gqbZ gksa] :dwv brfeuku ls djs vkSj ;g nqvk i<+s%

 "سُبْحَانَ رَبِّيَ الْعَظِيمِ" ¼lqCgkuk jfCc;y&vt+he½ 

Ikkd gS esjk ijojfnxkj tks cM+h vt+er okyk gSA

vQt+y ;g gS fd ;ss nqvk rhu ckj ;k bl ls vf/kd ckj nqgjk;s] vkSj bl nqvk ds lkFk ;s nqvk i<+uk Hkh eqlrgc gS%

"سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ رَبَّنَا وَبِحَمْدِكَ، اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي"

mPpkj.k% lqCgkudYykgqEek o fcgfEndk] vYykgqEex+&fQj~yhA

^^,s gekjs ikyugkj vYykg! Rkks ikd&ifo= gS] ge rsjh iz'kalk djrs gSa] ,s vYykg eq>s c['k nsA** ¼lghg eqfLye½

8- uekt+h vxj beke ;k vdsyk gS rks سَمِعَ           اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَهُ ¼lfevYykgq fyeu gfeng½ dgrs gq, vkSj vius gkFkksa dks eksa<ksa rd ;k dkuksa dh ykS rd mBkrs gq, :dwv ls viuk lj mBk, vkSj d+kSek esa ;g nqvk i<+s%

(( رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ، حَمْدًا كَثِيرًا طَيِّبًا مُبَارَكًا فِيهِ، مِلْءَ السَّمَاوَاتِ وَمِلْءَ الْأَرْضِ وَمِلْءَ مَا بَيْنَهُمَا وَمِلْءَ مَا شِئْتَ مِنْ شَيْءٍ بَعْدُ))

mPpkj.k%& jCcuk o ydy gEnks] gEnu dlhju rSf;cu eqckjdu Qhg] feyvLlekokrs o feyvy vt+Zs o feyvk ek cSugqek o feyvk ek 'ksv~rk feu 'kSbu cv~nksA

^^,s gekjs jc! rsjs gh fy, rkjhQ gS] cgqr vf/kd] ifo= vkSj cjdr okyh rkjhQ] vkdk'k ds cjkcj] /kjrh ds cjkcj vkSj vkdk'k vkSj /kjrh ds chp tks dqN gS mlds cjkcj] vkSj tks dqN rw blds ckn pkgs mlds cjkcjA**

vkSj vxj blds ckn bl ds mijkUr fuEufyf[kr nqvk Hkh i<+ ys rks csgrj gS] bl fy, fd uch lYyYykgq vySfg o lYye ls dqN lghg gnhlksa essa ;s nqvk i<+uk Hkh lkfcr gS%

(( أَهْلَ الثَّنَاءِ وَالْمَجْدِ، أَحَقُّ مَا قَالَ الْعَبْدُ -وَكُلُّنَا لَكَ عَبْدٌ-اللَّهُمَّ لَا مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ وَلَا مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ وَلَا يَنْفَعُ ذَا الْجَدِّ مِنْكَ الْجَدُّ ))

mPpkj.k%& vgyLluk;s oy eTns] vgD+d+ks ek d+kyy vCnks] o dqYyksuk ydk vCnqu] vYykgqEek yk ekfuvk fyek vkrSrk oyk eksv~fr;k fyek euv~rk oyk ;u~Qvks t+y&tís feudy tíksA

^^,s rkjhQ vkSj cqt+qxhZ okys] lc ls lPph ckr tks cUns u dgh&vkSj ge lc gh rsjs cUns gSa& ;g gS] ,s vYykg tks rw ns ns mls dksbZ jksdus okyk ugha vkSj tks rw jksd ys mls dksbZ nsus okyk ugha] vkSj fdlh in okys ¼eky nkj½ dks mldk in ¼ekynkjh½ rq> ls dqN ykHk ugha igq¡pk ldrkA**

uekt+h vxj eqd+~rnh gS rks :dwv ls lj mBkrs le; ^^رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ... ** jCcuk o ydy&gEn--- ls vUr rd fiNyh nqvk;sa i<+sA

eqlrgc gS fd uekt+h :dwv ds ckn d+kSek esa mlh izdkj vius lhus ij gkFk j[k ys ftl rjg :dwv ls igys fd+;ke dh gkyr esa j[kk Fkk] D;ksafd okbZy fcu gqtz vkSj lgy fcu lvn jft+;Yykgq vugqek dh c;ku dh gqbZ gnhlsa bl vey ds lkfcr gksus ij nykyr djrh gSa

9- vYykgq vDcj dgrs gq, lTns esa tk,] vkSj vxj gks lds rks gkFkksa ls igys ?kqVuksa dks t+ehu ij j[ks] fdUrq vxj bl esa dfBukbZ gks rks ?kqVuksa ls igys gkFkksa dks t+ehu ij j[ks] lTns esa nksuksa iSj vkSj nksuksa gkFk dh vaxqfy;ksa dks fd+Cyk dh vksj j[ks vkSj gkFk dh vaxqfy;ksa dks vkil esa feyk, gq, gks] lTng lkr vaxksa ij gksuk pkfg,% is'kkuh ukd lesr] nksuksa gkFk] nksuksa ?kqVus vkSj nksuksa iSj dh vaxqfy;ksa dk Hkhrjh Hkkx] vkSj lTns esa ;s nqvk i<+s%

"سُبْحَانَ رَبِّيَ الْأَعْلَى" ¼lqCgkuk jfCc;y vkyk½

ifo= gS esjk ikyugkj tks lc ls cqyUn gSA

bl nqvk dks rhu ckj ;k bl ls vf/kd ckj dguk el~uwu gS] vkSj bl nqvk ds lkFk ;s nqvk i<+uk Hkh eql~rgc gS%

"سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ رَبَّنَا وَبِحَمْدِكَ اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي"

mPpkj.k%& lqCgkudk vYykgqEek jCcuk o fcgefndk] vYykgqEex+&fQj~yhA

,s vYykg! Rkw ikd&ifo= gS] ge rsjh iz'kalk djrs gSa] ,s vYykg eq>s c['k nsA**

lTns esa vf/kd ls vf/kd nqvk djs] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((فَأَمَّا الرُّكُوعُ فَعَظِّمُوا فِيهِ الرَّبَّ عَزَّ وَجَلَّ وَأَمَّا السُّجُودُ فَاجْتَهِدُوا فِي الدُّعَاءِ فَقَمِنٌ أَنْ يُسْتَجَابَ لَكُمْ))

^^:dwv esa rks jc dh vt+er vkSj cM+kbZ c;ku djks] fdUrq lTns esa vf/kd ls vf/k nqvk djks] D;ksafd ;s bl ckr ds vf/kd ;ksX; gS fd rqEgkjh nqvk d+cwy gks tk,A** ¼lghg eqfLye½

rFkk vki lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((أَقْرَبُ مَا يَكُونُ الْعَبْدُ مِنْ رَبِّهِ وَهُوَ سَاجِدٌ فَأَكْثِرُوا الدُّعَاءَ))

^^lt~ng dh gkyr esa cUnk vius jc ls lc ls vf/kd d+jhc gksrk gS] blfy, vf/kd ls vf/kd nqvk djksA** ¼lghg eqfLye½

Ukekt+h dks pkfg, fd og lTng dh gkyr esa vius jc ls nqfu;k vkSj vkf[kjr dh HkykbZ dk loky djs] pkgs Qt+Z uekt+ i<+ jgk gks ;k uQ~yA

blh izdkj og lTng dh gkyr esa cktqvksa dks igyw ls] isV dks jkuksa ls vkSj jkuksa dks fiaMfy;ksa ls nwj j[ks] vkSj ckt+qvksa dks t+ehu ls mBk, j[ks] D;kasfd uch lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((اعْتَدِلُوا فِي السُّجُودِ وَلَا يَبْسُطْ أَحَدُكُمْ ذِرَاعَيْهِ انْبِسَاطَ الْكَلْبِ))

^^lTns brfeuku ls djks] vkSj rqe esa ls dksbZ O;fDr vius ckt+qvksa dks dqRrs dh rjg t+ehu ij u fcNk,A** ¼lghg cq[kkjh o eqfLye½

10- vYykgq vDcj dgrs gq, lTns ls lj mBk, vkSj ck;sa iSj dks fcNk dj mlh ij cSB tk,] vkSj nk;sa iSj dks [kM+k j[ks] vkSj vius gkFkksa dks jkuksa vkSj ?kqVuksa ij j[k ys] vkSj ;g nqvk i<+s%

((رَبِّ اغْفِرْ لِي، رَبِّ اغْفِرْ لِي، رَبِّ اغْفِرْ لِي، اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي، وَارْحَمْنِي ،وَاهْدِنِي، وَارْزُقْنِي، وعافني، واجبرني ))

mPpkj.k%& jfCcx+&fQyÊ] jfCcx+&fQyÊ] jfCcx+&fQyÊ] vYykgqEex+&fQyÊ] ogZeuh] og~fnuh] ot+ZqD+uh] o&vkfQuh] oTcquÊA

,s esjs ikyugkj! Ekq>s c['k ns] ,s esjs ikyugkj! Ekq>s c['k ns] ,s esjs ikyugkj! Ekq>s c['k ns] ,s  vYykg! Ekq>s c['k ns] eq> ij n;k dj] eq>s fgnk;r ns] eq>s jkst+h ns] eq>s vkfQ;r esa j[k] vkSj esjs uqd+~lku iwjs dj nsA

bl cSBd esa fcYdqy brfeuku ls cSBs ;gk¡ rd fd gj gìh viuh txg ij vk tk,] tSlkfd :dwv~ ds ckn brfeuku ls [kM+k gqvk Fkk( D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye :dwv ds ckn vkSj nksuksa lTnksa ds chp nsj rd brfeuku x`g.k djrs FksA

11- fQj vYykgq vDcj dgrs gq, nwljk lTng djs vkSj bl esa Hkh ogh lc djs tks igys lTng esa fd;k FkkA

12- vYykgq vDcj dgrs gq, lTns ls lj mBk,] vkSj ftl rjg nksuksa lTnksa ds chp cSBk Fkk mlh rjg FkksM+h nsj ds fy, cSB tk,] bl cSBd dks ^tYlk &,& bfLrjkgr* dgrs gSa] tks myek ds lghrj d+kSy ds vuqlkj eql~rgc gS] vkSj vxj mls NksM+ ns rks dksbZ gjt dh ckr ugha] ^tYlk&,&bfLrjkgr* esa dksbZ ft+dz vkSj nqvk ugha gSA

fQj vxj dfBu u gks rks vius ?kqVuksa ij] oj~uk t+ehu ij vius nksuksa gkFkksa ls Vsd yxk dj nwljh jd~vr ds fy, [kM+k gks tk,] [kM+k gksus ds ckn lwjrqy Qkfrgk vkSj Qkfrgk ds ckn d+qjvku dk tks Hkkx ;kn gks ml eas ls i<+s] fQj ftl rjg igyh jd~vr esa fd;k Fkk nwljh jd~vr esa Hkh mlh rjg djsA

eqD+rnh ds fy, vius beke ls igy djuk tkbZt+ ugha gS] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye us viuh mEer dks bl ls Mjk;k gSA rFkk eqD+rnh ds fy, vius beke ds fcYdqy lkFk&lkFk uekt+ ds dk;ksZs dks djuk eD:g ¼uk&ilUnhnk½ gS] mlds fy, lqUur dk rjhd+k ;g gS fd% mlds dk;Z fcuk fdlh foyEc ds vius beke ds rqjUr i'pkr vkSj mldh vkokt+ can gksus ds ckn gksa( D;ksafd iSx+Ecj lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

 (( إِنَّمَا جُعِلَ الْإِمَامُ لِيُؤْتَمَّ بِهِ، فَلَا تَخْتَلِفُوا عَلَيْهِ، فَإِذَا كَبَّرَ فَكَبِّرُوا، وَإِذَا رَكَعَ فَارْكَعُوا، وَإِذَا قَالَ سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَهُ فَقُولُوا رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ، وَإِذَا سَجَدَ فَاسْجُدُوا))

^^beke bl fy, cuk;k x;k gS rkfd mldh bfD+rnk dh tk,] vr% rqe ml ij erHksn u djks] tc og rDchj dgs rks rqe rDchj dgks] tc og jqdwv djs rks rqe jqdwv djks] tc og ^^lfevYykgq fyeu gfeng**  ¼ سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَه  ½ dgs rks rqe ^^jCcuk o ydy gEnks** ¼رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ ½ dgks vkSj tc og lTnk djs rks rqe lTnk djks**A ¼cq[kkjh o eqfLye½

13- vxj uekt+ nks jd~vr okyh gS &tSls fd Qtz] tqek vkSj bZn dh uekt+& rks nwljs lTns ls mBus ds ckn vius nk;sa iSj dks [kM+k dj ds] ck;sa iSj dks fcNk;s gq;s] nkfgus gkFk dks nkfguh jku ij j[krs gq, vkSj 'kgknr dh vaxqyh ds flok lkjh vaxqfy;ksa dks lesVs gq;s cSB tk;s vkSj mlds }kjk vYykg lqCgkugq ds ft+Ø vkSj nqvk ds le; rkSghn dk b'kkjk djsA vkSj vxj nkfgus gkFk dh Naxqyh vkSj mlds lkFk okyh vaxqyh dks lesV ys vkSj vaxwBs vkSj chp okyh vaxqyh ds lkFk NYyk cuk ys vkSj 'kgknr dh vaxqyh ls b'kkjk djs rks vPNk gS( D;ksafd nksuksa rjhd+s uch lYyYykgq vySfg o lYye ls lkfcr gSaA vkSj loZJs"B ;g gS fd dHkh bl rjg djs vkSj dHkh ml rjg djsA vkSj vius ck;sa gkFk dks vius ck;sa jku vkSj ?kqVus ij j[ksA fQj bl cSBd esa r'kg~gqn i<+s] vkSj og bl izdkj gS%

((التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ))

mPpkj.k%& vRrfg¸;krks fyYykgs oLlyk&okrks oRrS;&bckrks vLlykeks vySdk v¸;ksgUufc¸;ks o jgerqYykgs o&cjdkrqgw vLlykeks vySuk o&vyk bckfnYykfgLlkfyghu v'gnks vu~&yk&bykgk bYyYykgw o&v'gnks vUuk eqgEenu vCnqgw o&jlwyqgA

^^lHkh iz'kalk;sa] uekt+sa vkSj ifo= pht+sa vYykg ds fy, gSa] ,s uch! vki ij lyke] vYykg dh jger vkSj mldh cjdrsa vorfjr gksa] lyke gks ge ij vkSj vYykg ds lnkpkjh cUnksa ij] eSa xokgh nsrk gw¡ fd vYykg ds vfrfjDr dksbZ iwT; ugha vkSj eSa xokgh nsrk gw¡ fd eqgEen ml ds cUns vkSj lans'okgd gSaA**

fQj ;g nqvk i<+sa%

((اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ))

mPpkj.k%& vYykgqEek lYys vyk eqgEen] o vyk vkys eqgEen] dek lYySrk vyk bczkghek o vyk vkys bczkghe] bUudk gehnqe ethn] vYykgqEek ckfjd vyk eqgEen] o vyk vkys eqgEen] dek ckjdrk vyk bczkghek o vyk vkys bczkghe] bUudk gehnqe ethnA

^^,s vYykg! rw jger cjlk eqgEen ij vkSj eqgEen ds lUrku ij ftl izdkj rw us bczkghe vkSj bczkghe dh lUrku ij jger cjlk;k] fu%lUnsg rw ljkguh; vkSj egku gSA ,s vYykg! cjdr vorfjr dj eqgEen ij vkSj eqgEen dh lUrku ij ftl izdkj rw us cjdr vorfjr fd;k bczkghe ij vkSj bczkghe dh lUrku ij] fu%lUnsg rw ljkguh; vkSj egku gSA**

vkSj vYykg rvkyk ls pkj pht+ksa dh iukg idM+s] pqukaps ;g nqvk i<+s%

((اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ وَمِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ وَمِنْ شَرِّ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ ))

mPpkj.k%& vYykgqEek bUuh vÅt+ks fcdk feu vt+kfc tgUue] o feu vt+kfcy d+cz] o feu fQRufry eg~;k oy eekr] o feu 'kjsZ fQRufry elhfgíTtkyA

^^,s vYykg! eSa tgUue dh ;kruk ls] vkSj d+cz ds vt+kc ls] vkSj thou vkSj e`R;q ds fQRus ls] rFkk elhg nTtky ds fQRus dh cqjkbZ ls rsjh iukg pkgrk gw¡A**

mlds ckn nqfu;k vkSj vkf[kjr dh HkykbZ;ksa esa ls tks pkgs nqvk djs] vxj vius ek¡ cki ds fy, ;k muds flok nwljs eqlykekukasa ds fy, nqvk djs rks dksbZ gjt ughaA pkgs og  Qt+Z uekt+ gks ;k uQ~y] blfy, fd vCnqYykg fcu elÅn dks r'kg~gqn dh f'k{kk nsrs gq;s vki lYyYykgq vySfg o lYye dk ;g Qjeku vke gS%

ثُمَّ لِيَتَخَيَّرْ أَحَدُكُمْ مِنْ الدُّعَاءِ أَعْجَبَهُ إِلَيْهِ فَيَدْعُوَ بِهِ

^^fQj og viuh ilUnhnk nqvkvksa esa ls tks nqvk djuk pkgs djsA** ¼vcw nkÅn½

vkSj ,d gnhl ds 'kCn bl izdkj gSa%

ثُمَّ لْيَتَخَيَّرْ بَعْدُ مِنْ الْمَسْأَلَةِ مَا شَاءَ

^^fQj og bl ds ckn tks dqN ek¡xuk pkgs ek¡xsA** ¼eqfLye½

vkSj ;g nqfu;k vkSj vkf[kjr esa ykHk igq¡pkus okyh lHkh pht+ksa dks 'kkfey gSA fQj og%

 ½½السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ ، السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ  ¼¼

¼vLlykeks vySdqe o jg~erqYykg] vLlykeks vySdqe o jg~erqYykg ½

dgrs gq;s vius nkfgus vkSj ck;sa vksj lyke Qsj nsA

14- vxj rhu jd~vr okyh uekt+ gS( tSls fd efX+jc dh uekt+] ;k pkj jd~vr okyh uekt+ gS( tSls fd t+qg~j] vlz vkSj b'kk dh uekt+] rks og vHkh Åij mfYyf[kr r'kg~gqn dks i<+s vkSj uch lYyYykgq vySfg o lYye ij n:n Hksts] fQj vius ?kqVus dk lgkjk ysrs gq, vkSj nksuksa gkFkksa dks vius nksuksa eksa<ksa ds cjkcj mBkrs gq;s] vYykgq vDcj dgrs gq, lh/kk [kM+k gks tk,] vkSj nksuksa gkFkksa dks vius lhus ij j[k ys] tSlk fd ihNs xqt+j pqdk] vkSj dsoy lwjrqy Qkfrgk i<+s] vkSj vxj t+qg~j dh rhljh vkSj pkSFkh jd~vr esa dHkh&dHkkj lwjrqy Qkfrgk ls vf/kd Hkh i<+ ys rks dksbZ ckr ugha gS] D;ksafd vcw lbZn [k+qnjh jft+;Yykgq vUgq dh gnhl esa uch lYyYykgq vySfg o lYye ls bldk izek.k feyrk gSA vkSj vxj igys r'kg~gqn ds ckn uch lYyYykgq vySfg o lYye ij n:n ugha i<+rk gS rks dksbZ ckr ugha( blfy, fd igys r'kg~gqn esa bls i<+uk eql~rgc ¼Js"B½ gS vfuok;Z ugha gSA fQj efX+jc dh rhljh jd~vr vkSj t+qg~j] vlz vkSj b'kk dh pkSFkh jd~vr ds ckn r'kg~g`n i<+s] uch+ lYyYykgq vySfg o lYye ij n:n i<+s vkSj tgUue ds vt+kc ls] d+cz ds vt+kc ls] ft+Unxh vkSj ekSr ds fQRus ls vkSj elhg nTtky ds fQRus ls iukg ekaxs] vkSj vf/kd ls vf/kd nqvk djsA

bl txg vkSj blds vfrfjDr vU; txgksa ij e'k:v nqvkvksa esa ls ;g nqvk gS%

½½رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ   ¼¼

mPpkj.k%& jCcuk vkfruk fQn~&nqU;k glk&ug] o fQy vkf[kjrs glk&ug] o fd+uk vt+kcUukjA

blfy, fd vul jft+;Yykgq vUgq ls lkfcr gS fd mUgksa us dgk% uch lYyYykgq vySfg o lYye ¼¼ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ ½½ vf/kd ls vf/kd i<+k djrs Fks] tSlk fd nks jd~vr okyh uekt+ksa esa xqt+j pqdkA ysfdu og bl cSBd esa rojZqd djsxk] vius ck;sa iSj dks vius nkfgus iSj ds uhps j[ks vkSj viuh lqjhu dks t+ehu ij j[ks vkSj vius nkfgus iSj dks [kM+k j[ksA D;ksafd bl ckjs esa vcw gqeSn jft+;Yykgq vUgq dh gnhl vkbZ gSA

fQj ^^السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ ** ¼vLlykeks vySdqe o jg~erqYykg] vLlykeks vySdqe o jgerqYykg½ dgrs gq, vius nk;sa vkSj ck;sa vksj lyke Qsj nsA

lyke Qsjus ds ckn rhu ckj ^vLrx~+fQ:Yykg* dgs] fQj ;g nqvk i<+s%

اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ تَبَارَكْتَ يَاذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ

mPpkj.k%& vYykgqEek vUrLlykeks o feudLlyke] rckjdrk ;k t+y tykys oy bØkeA

,s vYykg! rw lyke ¼lykerh okyk½ gS vkSj rsjh gh vksj ls lykerh gkfly gksrh gS] ,s bT+t+r o tyky okys rw cM+h cjdr okyk gSA

 ((لا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ،وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، اللَّهُمَّ لَا مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ، وَلَا مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ، وَلَا يَنْفَعُ ذَا الْجَدِّ مِنْكَ الْجَدُّ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَلَا نَعْبُدُ إِلَّا إِيَّاهُ لَهُ النِّعْمَةُ وَلَهُ الْفَضْلُ وَلَهُ الثَّنَاءُ الْحَسَنُ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ وَلَوْ كَرِهَ الْكَافِرُونَ))

mPpkj.k%& yk bykgk bYyYykgq ogngw yk 'kjhdk ygw] ygqy eqYdks o ygqy gEn] o&gqok vyk dqYys 'kSbu d+nhj] vYykgqEek yk ekfuvk fyek vkrSrk oyk eksv~fr;k fyek euv~rk oyk ;u~Qvks t+y&tís feudy tíks] yk gkSyk oyk d+qOork bYyk fcYykg] yk&bykgk bYyYykg oyk uv~cqnks bYyk b¸;kg] ygqUuserks o&ygqy QT+y] o&ygqLlukmy glu] yk&bykgk bYyYykgks eq[yslhuk ygqíhu] o&yo dfjgy dkfQ:uA

^^vYykg ds flok dksbZ lPpk iwT; ugha] og vdsyk gS] dksbZ mldk lk>h ugha] mlh dh ckn'kkgr gS vkSj mlh ds fy, iz'kalk gS] vkSj og gj pht+ ij 'kfDroku gSA ,s vYykg! Tkks rw ns ns mls dksbZ jksdus okyk ugha] vkSj tks rw jksd ys mls dksbZ nsus okyk ugha] vkSj fdlh ekynkj vkneh dks mldh ekynkjh rsjs vt+kc ls cpk ugha ldrhA vYykg dh rkSQhd+ ds fcuk dksbZ rkd+r o 'kfDr ykHkdkjd ughaA vYykg ds flok dksbZ lPpk iwT; ¼ekcwn½ ugha vkSj ge dsoy mlh dh bcknr djrs gSa] user vkSj QT+y mlh dk gS vkSj mlh ds fy, mRre iz'kalk gS] vYykg ds flok dksbZ lPpk iwT; ¼ekcwn½ ugha] gekjh bcknr mlh ds fy, [kkfyl gS pkgs dkfQjksa dks cqjk yxsA

blds ckn rSarhl ¼33½ ckj ^^lqCgkuYykg**] rSarhl ¼33½ ckj ^^vYgEnqfyYykg** vkSj rSarhl ¼33½ ckj ^^vYykgq vDcj** dgs vkSj lkS dh fxUrh bl nqvk ls iwjh djs%

((لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ))

mPpkj.k%& yk bykgk bYyYykgq ogngw yk 'kjhdk ygw] ygqy eqYdks o ygqy gEn] o&gqok vyk dqYys 'kSbu d+nhjA

^^vYykg ds vfrfjDr dksbZ lPpk iwT; ¼ekcwn½ ugha] og vdsyk gS] mldk dksbZ lk>h ugha] mlh dk jkT; gS vkSj mlh ds fy, lkjh iz'kalk gS vkSj og gj pht+ ij 'kfDroku gSA**

blh izdkj gj Qt+Z uekt+ ds ckn vk;rqy dqlhZ] ^^d+qy gqoYykgw vgn**] ^^d+qy vÅt+ks fcjfCcy Qyd+** vkSj ^^d+qy vÅt+ks fcjfCcUukl** i<+s] Qtz vkSj efX+jc dh uekt+ ds ckn bu rhuksa lwjrksa dks rhu&rhu ckj i<+uk eql~rgc gS] D;ksafd bl ckjs esa uch lYyYykgq vySfg o lYye ls lghg gnhlsa vkbZ gqbZ gSaA

blh izdkj mijksDr vt+dkj ds mijkUr Qtz vkSj efX+jc dh uekt+ ds ckn nl ¼10½ ckj fuEufyf[kr nqvk i<+uk Hkh eql~rgc gS%

لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ يُحْيِي وَيُمِيتُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ

mPpkj.k%& yk bykgk bYyYykgq og~ngw yk 'kjhdk ygw] ygqy eqYdks o ygqy gEn] ;qg&;h o&;qehrks o&gqok vyk dqYys 'kSbu d+nhjA

^^vYykg ds vfrfjDr dksbZ lPpk iwT; ¼ekcwn½ ugha] og vdsyk gS] mldk dksbZ lk>h ugha] mlh dk jkT; gS vkSj mlh ds fy, lkjh iz'kalk gS] ogh ekjrk vkSj ftykrk gS] vkSj og gj pht+ ij 'kfDroku gSA**

bl fy, fd ;g Hkh uch lYyYykgq vySfg o lYye ls lkfcr gSA

beke gksus dh lwjr esa rhu ckj ^^vLrx+fQ:Yykg** vkSj ¼ اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ تَبَارَكْتَ ذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ ½ i<+us ds ckn mls eqD+rfn;ksa dh vksj eqroTtsg gksuk pkfg,] fQj Åij mfYyf[kr 'ks"k nqvk;s i<+uh pkfg,] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye ls lkfcr cgqr lkjh gnhlsa bl ckr ij nykyr djrh gSa] ftu esa ls ,d lghg eqfLye esa of.kZr vkbZ'kk jft+;Yykgq vUgk dh gnhl gSA mijksDr mfYyf[kr lHkh vt+dkj ,oa nqvk;sa lqUur gSa] vfuok;Z ugha gSaA

izR;sd eqlyeku iq:"k vkSj L=h ds fy, t+qg~j dh uekt+ ls igys pkj jd~vr] t+qg~j dh uekt+ ds ckn nks jd~vr] efX+jc dh uekt+ ds ckn nks jd~vr] b'kk dh uekt+ ds ckn nks jd~vr vkSj Qtz dh uekt+ ls igys nks jd~vr i<+uk eql~rgc ¼eluwu½ gS] ;s dqy ckjg jd~vrsa gqbZa] bu dks ^^lquu jokfrc** ¼eqvDdng lqUursa½ dgk tkrk gS] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye bd+ker dh gkyr esa budh ikcanh djrs Fks] fdUrq ;k=k dh voLFkk esa bu dks ugha i<+rs Fks] ysfdu Qtz dh lqUur vkSj fo= dh bd+ker vkSj ;k=k izR;sd voLFkk esa ikcUnh djrs FksA vkSj vki lYyYykgq vySfg o lYye gekjs fy, csgrjhu vkn'kZ vkSj uewuk gSa] D;ksafd vYYkkg rvkyk dk Qjeku gS%

ôs)©9] tb%x. öNä3s9 Îû ÉAqßu «!$# îouqóé& ×puZ|¡ym [

^^rqEgkjs fy, jlwyqYykg ¼dh O;fDrRo½ esa mÙke uewuk gSA** ¼lwjrqy vgt+kc%21½

rFkk vki lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((صَلُّوا كَمَا رَأَيْتُمُونِي أُصَلِّي))

^^rqe mlh rjg uekt+ i<+ks ftl rjg eq>s uekt+ i<+rs ns[kk gSA** ¼lghg cq[k+kjh½

vQt+y ;g gS fd lquu jokfrc vkSj fo= dks ?kj esa i<+k tk,] ysfdu vxj dksbZ efLtn esa i<+rk gS rks dksbZ gjt dh ckr ugha gS] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((أَفْضَلُ صَلَاةِ الْمَرْءِ فِي بَيْتِهِ إِلَّا الصَّلَاةَ الْمَكْتُوبَةَ ))

^^vkneh dh loZJs"B uekt+ ml dh ?kj dh uekt+ gS flok; Qt+Z uekt+ dsA** ¼cq[kkjh o eqfLye½

bu ckjg jd~vr lqUurksa dh ikcUnh tUur esa izos'k ds dkj.kksa esa ls gS] D;ksafd lghg eqfLye es mEes gchck jft+;Yykgq vUgk ls lkfcr gS fd mUgksa us dgk fd eSa us vYykg ds jlwy lYyYykgq vySfg o lYye dks Qjekrs gq;s lquk%

((مَا مِنْ عَبْدٍ مُسْلِمٍ يُصَلِّي لِلَّهِ كُلَّ يَوْمٍ ثِنْتَيْ عَشْرَةَ رَكْعَةً تَطَوُّعًا غَيْرَ فَرِيضَةٍ إِلَّا بَنَى اللَّهُ لَهُ بَيْتًا فِي الْجَنَّةِ))

^^ftl us fnu vkSj jkr esa ckjg jd~vr lqUur i<+k vYykg rvkyk mlds fy, tUur esa ?kj cuk, xkA** ¼lghg eqfLye½

beke f=fet+h us bl gnhl dh viuh fjok;r esa ckjg jd~vrksa dh ogh O;k[;k dh gS tks ge us Åij mYys[k fd;k gSA

vkSj vxj vlz dh uekt+ ls igys pkj jd~vr] efX+jc dh uekt+ ls igys nks jd~vr vkSj b'kk dh uekt+ ls igys nks jd~vr i<+s rks vkSj csgrj gS] D;ksafd uch lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((رَحِمَ اللَّهُ امْرَأً صَلَّى أَرْبَعًا قَبْلَ الْعَصْرِ ))

^^vYykg rvkyk ml vkneh ij n;k djs ftl us vlz ls igys pkj jd~vr uekt+ i<+hA** ¼bl gnhl dks vgen] vcw nkÅn] f=fet+h vkSj bCus [kqt+Sek us fjok;r fd;k gS] vkSj f=fet+h us bls glu vkSj bCus [kqt+Sek us lghg dgk gS] vkSj bl dh blukn lghg gS½

rFkk vki lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((بَيْنَ كُلِّ أَذَانَيْنِ صَلَاةٌ، بَيْنَ كُلِّ أَذَانَيْنِ صَلَاةٌ))، ثُمَّ قَالَ فِي الثَّالِثَةِ:((لِمَنْ شَاءَ)) رواه البخاري.

^^gj nks vt+kuksa ds chp uekt+ gS] gj nks vt+kuksa ds chp uekt+ gS**] fQj vki us rhljh ckj Qjek;k% ^^ml vkneh ds fy, ftldh bPNk gksA** ¼lghg cq[kkjh½

vkSj vxj t+qg~j ls igys pkj jd~vr vkSj t+qg~j ds ckn pkj jd~vr i<+s rks csgrj gS( bl fy, fd vki lYyYykgq vySfg o lYye dk Qjeku gS%

((مَنْ حَافَظَ عَلَى أَرْبَعِ رَكَعَاتٍ قَبْلَ الظُّهْرِ وَأَرْبَعٍ بَعْدَهَا حَرَّمَهُ اللَّهُ عَلَى النَّارِ))

^^ftl us t+qgj ls igys pkj jd~vr vkSj t+qgj ds ckn pkj jd~vr dh ikcanh dh] vYykg rvkyk mls tgUue dh vkx ij gjke dj nsxkA** ¼bl gnhl dks beke vgen vkSj vgys&lquu &vcw nkÅn] f=fet+h] ulkbZ vkfn& us lghg blukn ds lkFk mEes gchck jft+;Yykgq vUgk ls fjok;r fd;k gS½

bl gnhl dk vFkZ ;g gS fd t+qgj ds ckn eqvDdng lqUur ds vfrfjDr nks jd~vr vkSj vf/kd i<+h tk,( D;ksafd t+qgj esa eqvDdng lqUursa pkj jd~vr igys vkSj nks jd~vr ckn esa gSa] vkSj tc mlds ckn nks jd~vr vkSj vf/kd i<+h tk;s xh rks mEes gchck jft+;Yykgq vUgk dh gnhl esa tks ckr c;ku dh xbZ gS ml ij vey gks tk;s xkA

vYykg rvkyk gh rkSQhd+ nsus okyk gS] vkSj vYykg dh jger vkSj lykerh mrjs gekjs iSx+acj eqgEen fcu vCnqYykg ij vkSj vki ds vky o vl~gkc vkSj fd+;ker rd vki dh lPph iSjoh djus okyksa ijA ¼vkehu½

नेपाल का इतिहास

 नेपाल का इतिहास नेपाल दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है। यह भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है और उत्तर में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में भूटान और...